मां के वो चूड़ी वाले हाथ, जो मेरा मजबूत कंधा बने
- sangyanmcu
- May 20, 2021
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मां बिना सृष्टि की कल्पना भी अधूरी है क्योंकि वो मां ही हैं जो आपको इस संसार में सृजन और संवर्धन की सीख देती हैं

अंशिका द्विवेदी (mobile#6388583983 . Twitter@Anshika51883840)
मां संवेदना हैं, मां भावना हैं, मां एहसास है, मुझे लगता है जिनके पास मां और पिता हैं, वह दुनिया के सबसे सुखी और संपन्न लोग हैं। मुझे याद है, जब भी मेरा एग्जाम होता था तो वो मां ही होती थी, जो हमेशा दही-शक्कर की कटोरी लिए खड़ी होती। मेरी शैतानियों से हमेशा परेशान होकर बोलती हैं कि हाय राम! क्या करें इस लड़की का बड़ी ही नहीं हुई है। इस उम्र में लड़कियां घर संभाल लेती हैं। वह मां, मेरी तरक्की के लिए पूजा-पाठ करती करती हैं, लेकिन पढ़ाई के लिए जब भी मुझे शहर से बाहर जाना पड़ता है, मैंने अपनी मां को अक्सर कमरे में छुप कर रोते देखा है। मम्मी का हमेशा से रहा है, वह सुबह जल्दी जगाने के लिए वो मुझे एक घंटे ज्यादा बढ़ाकर समय बताती हैं। 7 बजे मुझे कहती हैं कि 8 बज गए। मेरी जब-जब तबीयत खराब होती है, दोष मम्मी ने बुरी नजर को ही दिया है। जब बाहर पढ़ने गई तो हर चीज एक सपने सी लग रही थी। सारे दोस्त एक परिवार से लग रहे थे। लेकिन कुछ समय तक। सच में छोटे शहर अक्सर बड़े सपने दिखाते हैं। और बड़े शहर अक्सर छोटा महसूस करा देते हैं। ऐसे हालात में ही परिवार की अहमियत का एहसास होता है,जब आपका प्यार साथ छोड़ जाए, आपके यार आप से मुंह मोड़ ले तो एक माँ ही होती हैं, जो बार-बार फोन करके बोलती है, ठीक हो ना तुम, खाना खाई या नहीं? अच्छा नहीं लग रहा हो तो घर चली आओ। जब भी मैं घर पर खाना खाने बैठती और इधर-उधर देखती तो मां मेरे बिना कुछ बोले मेरी तरफ नमक का िडब्बा सरका देतीं। जब भी उन्हें ठंड लगती, पहले मुझे स्वेटर पहना देती हैं। सच कहूं तो जब भी परेशानियों ने मुझे घेरा है तो मां का वो चूड़ी वाला हाथ ही मेरा मजबूत कंधा बना है। यह सच है कि मां के बिना इस सृष्टि की कल्पना भी अधूरी है। •
(लेखिका बांदा उप्र से हैं और इलाहबाद की शॉट्स यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया है।)
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