बिल्कुल गंगा की तरह हैं मां
- sangyanmcu
- May 20, 2021
- 2 min read
दुनिया में एक मां ही हैं जो हमेशा आपके दोषों को छुपा लेती हैं जैसे मां गंगा आपके दोषों और चिंताओं को हर लेती हैं

अजय तिवारी
mobile#9755228666 @Ajaytiwari161
मां अपने आप में एक पूर्ण व्यक्तित्व है जिसकी तुलना किसी से भी करना सूरज को दीपक दिखाने जैसा होगा। किन्तु आज, पता नहीं क्या लिखूंगा और कैसे लिखूंगा, दरअसल आज से पहले कभी मां पर लिखने या उनके त्याग पर नज़र ही नहीं गई। सच कहूं तो मां पर लिखने के लिए शब्द कम ही सूझ रहे हैं, और जो हैं वो भी मानों कम पड़ रहे हैं। और जो कुछ शब्द जुटा पाया हूं उन्हें पिरोते हुए आंखें नम हो रही हैं। मेरा मानना है कि जो प्रेम आप भले ही कोई किताब लिख दें लेकिन वास्तविकता तो यह है कि अगर आप अपनी मां पर किताब लिखने जाएंगे तो शायद पन्ने कम पड़ जाएंगे। मां का प्यार ब्रम्हांड की तरह अनंत होता है। किताब की एक सीमा होती है किन्तु माँ के प्रेम की कोई सीमा नहीं होती। माँ का प्यार बस एक महसूस करने की चीज है यदि आप उसे महसूस नहीं कर पा रहे तो ये आपके बेटे होने में कमी है।
इस तरह वो मेरे गुनाहों को धो देती है,
माँ जब गुस्से में होती है तो रो देती है.
जीवन में आप कितनी भी गलतियां करें, एक मां ही हैं जो हमेशा आपके दोषों को छुपा लेती हैं, बिल्कुल गंगा की तरह। लिखने तो मां पर बहुत लिखा जा सकता है किंतु आज भावनाओं को एक सीमा में बांधकर रखते हुए अपना यह लेख लिखा है।
पता नहीं क्या लिखा, क्यूं लिखा, बस जो दिल में भावनाओं के तूफान से निकला, लिख दिया। एक छोटी सी कविता लिखी है, उम्मीद है अच्छी लगेगी-
बनाया ख़ुदा ने जब तुझको होगा,
एक सवाल तो मन में आया होगा,
अक्स हूबहू अपना बनाऊ कैसे,
सोच कर थोड़ा तो सरमाया होगा,
रखा होगा सीने में जब मां के दिल,
क्या संभाल धड़कनों अपनी पाया होगा,
कहीं रह जाये ना कोई चूक उससे,
सोच के वो थोड़ा तो घबराया होगा,
भेजा दुनिया में जब उसने तुझको,
वो सोच के थोड़ा तो इठलाया होगा,
फिर देख के मूरत खुद अपनी जैसी,
आँसू भर आँखों में मुस्काया होगा
रात-रात भर जग कर,
भूख प्यास त्याग कर..
वो एक मां है जो सब की फ़िक्र करती है,
मनुष्य का प्रतिरुप वो बोझ धरती सा धरती है। •
(लेखक ने जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से ग्रैजुएशन और राजा मान सिंह तोमर
संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर से नाट्य विधा में डिप्लोमा किया है।)
Comments