मां आप ना होती तो मेरा क्या होता!
- sangyanmcu
- May 20, 2021
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छोटी सी उम्र में, मां की बीमारी के मात्र तीन दिन देखना, मेरे बालकाल में मां के महत्व के
अनमोल चार दिन बन गए

कार्तिकेय मिश्रा
mobile#83828 69941 @kartikeyam_
पिछले 3 दिन से मां की तबियत बहुत खराब है। ऐसी पीड़ा जिसके कारण न तो वो बोल पा रही हैं और न ही कोई इशारा कर पा रही हैं। उनके कुछ इशारे जो मैं भाप पा रहा था, वो यही कि बेटा, तूने कुछ खाया कि नहीं। उस दिन असल मायने में मां की ममता का अहसास हुआ। उस छोटी सी उम्र में मात्र इतना भर ज्ञात था कि मां ही मेरे सारे काम करेगी, चाहे वो खाना खिलाना हो या कपड़े पहनाना हो और भी बहुत कुछ। जब भी मेरा स्वास्थ्य खराब होता था तो मां दिन-रात मेरे बगल में बैठकर मेरा ध्यान रखती रहती थीं। पर आज जब उनकी तबीयत खराब है तो मुझे यह भी नहीं पता कि मैं मां की सेवा किस प्रकार करूं। मैं बस वही कर पाता जो मुझे पापा बताते। कभी छत से कपड़े उतार लाने को कहते, तो कभी मां के लिए पानी गर्म कर लाने को। ये तो अच्छा था कि पापा का खाना बनाने में हाथ साफ था, नहीं तो मां के बिना पेट भरना काफी मुश्किल होता। नादानी की उस उम्र में मेरा दिमाग बस उन्हीं चीजों में चल रहा था, जिसे मां खुद से करती थीं। कोशिश मैं पूरी करता कि मां जो-जो काम दिन भर करती हैं उसे खुद से करूं। लेकिन हर जगह कुछ न कुछ चूक हो ही जाती थी। चाहे वो दूध गैस पर रखकर भूल जाना हो या पानी का मोटर चालू छोड़ के उससे ध्यान हट जाना। मैं तो यही सोचता कि मां दिन भर में इतने ढ़ेर सारे कामों को याद कैसे रख लेती हैं। मेरे से तो पढ़ाई में भी सारे विषय याद नहीं रखे जाते। मां की तबीयत पूरे एक हफ्ते खराब रही और घर को देखने से भी लगता कि घर भी कितना उदास है। घर का सारा संचालन मानो अनियंत्रित सा हो गया हो। कोई भी सामान अपनी जगह पर मिलता ही नहीं था। कभी मेरी साइकल की चाबी खाट के एक कोने में पड़ी रहती तो कभी फ्रिज के ऊपर। कुछ ही दिनों में मां की तबीयत ठीक होने लगी। माँ धीरे-धीरे सारे काम फिर से उस तरह करने लगीं जिस तरह पहले किया करती थीं। एक दिन मां से मैंने इन सभी छोटी-छोटी बातों का जिक्र करते हुए कहा कि मां अगर आप न होतीं तो मेरा क्या होता! •
(लेखक उत्तरप्रदेश के लखनऊ से हैं और उन्होंने
हरिद्वार के देव संस्कृति विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन किया है।)
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