धरती पर कोई भगवान है तो हमारी मां
- sangyanmcu
- May 20, 2021
- 3 min read
भोर की पहली किरण के साथ मां के मातृत्व का उजियारा फैलना शुरू हो जाता है। वो हमारी नींद को बड़े प्यार-दुलार के साथ खोलती हैं

अबिनाश भारद्वाज
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मां शब्द यूं तो बहुत ही छोटा है परंतु इस शब्द के मायने ऐसे है जिसकी आप शब्दों में व्याख्या नहीं कर सकते हैं। मां और उनकी ममता असीमित है। अपने बच्चों के लिए, उनका संघर्ष, समर्पण, त्याग, प्रेम, और उनकी सहानुभूति एक अथाह सागर जैसा होता है। मां की ममता ना तो खत्म होती है ना ही उसमें जीवन पर्यंत कभी कोई कमी आती है।
मां, बच्चों के लिए गुरु भी होती है। वहीं, वो एक सच्चे दोस्त की तरह भी होती है। मां बच्चों के लिए अभिभावक तो होती ही हैं और जीवन भर उनका सबसे अनमोल साया बनी रहती हैं। मां के लिए बच्चे तो हमेशा बच्चे ही होते हैं चाहे वो कितने ही बड़े क्यों न हो जाए। फिर चाहे वे कितने ही बड़े ओहदे पर क्यों न चले जाए। हमारे जीवन और हमारे दिल में मां का जो स्थान होता है उसे कभी कोई दूजा नहीं ले सकता। वो मानो प्रकृति की तरह हैंै, जो हमेशा हमें देने के लिए जानी जाती हैं। इसके बदले में वह हमसे कभी कोई अपेक्षा नहीं रखती हैं।
हमारे जीवन के पहले क्षण की शुरुआत मां के साथ ही होती है। जब हम इस दुनिया अपनी आंखें खोलते हैं, तो सामने मां का दीदार होता है। जब तुतलाते हुए पहला शब्द बोलना शुरु करते हैं, मां ही वह पहला शब्द होता है।
इस धरती पर वह हमारा पहला प्यार, पहलाी शिक्षक और सबसे पहली दोस्त होती हैं। जब हम जन्म लेते हैं तो अबोध होते हैं। वो मां की गोद ही है जो हमें इस संसार का दर्शन और आभास करवाती है। उसी गोद में हम पल-बढ़कर इस काबिल बनते हैं कि दुनिया को समझ सकें और कुछ कर सकें।
वह हमेशा हमारे लिए उपलब्ध रहती हैं। ईश्वर की तरह हमारा पालन-पोषण करती हैं। अगर इस धरती पर कोई भगवान हैं तो हमारी मां ही हैं। मां के प्यार का स्थान जीवन में कोई दूसरा नहीं ले सकता। मां जो हमें पालती-पोषती हैं, उस जैसा दुलार कोई और नहीं दे सकता। मां जीवन भर हमारे लिए जो बलिदान देती रहती हैं उसकी कोई बराबरी नहीं कर सकता।
हमारे जीवन में जितनी महिलाएं होती हैं, उसमें मां का स्थान सर्वोच्च है। मां को अपने बच्चों के आगे अपनी थकान की कोई फिक्र नहीं होती है। बच्चों की देखरेख में वह अपनी थकान भूलकर सबकुछ कर लेना चाहती हैं।
भोर की पहली किरण के साथ मां के मातृत्व का उजियारा फैलना शुरू हो जाता है। वो हमारी नींद को बड़े प्यार-दुलार के साथ खोलती हैं। हमारे नाश्ते की तैयारी वो भोर में ही करना शुरू कर देती हैं। फिर बात चाहे दोपहर के खाने की हो या हमारे हाथ में पानी की बोतल देने की, मां हमारा पूरा-पूरा ख्याल रखती हैं।
हमारे लौटने का मां को बेसब्री से इंतजार रहता है। जब तक हम लौट ना आएं, उनका ध्यान दरवाजे की तरफ रहता ही है। रात का जायकेदार खाना मां के बिना कभी पूरा नहीं हो सकता। इसमें भी वह सबकी पसंद-नापसंद का भरपूर ध्यान रखती हैं। जैसे महासागर बिना पानी के नहीं हो सकता, उसी तरह मां भी हमें बहुत सारा प्यार और देख-रेख करने से नहीं थकती है। वो अनोखी होती हैं और पूरे ब्रम्हाण्ड में एकमात्र ऐसी हैं जिसे किसी से नहीं बदला जा सकता। वो हमारे सभी छोटी और बड़ी समस्याओं का असली समाधान है। वो इकलौती ऐसी होती है जो कभी भी अपने बच्चों को बुरा नहीं कहती और हमेशा उनका पक्ष लेती हैं। वह भगवान से हमारे स्वास्थ्य और अच्छे भविष्य के लिए पूरे जीवन भर प्रार्थना करती हैं इसके बावजूद कि हम कई बार उन्हें दुखी भी कर देते हैं। हमेशा उसके मुस्कुराते चेहरे के पीछे एक दर्द होता है जिसे हमें समझने और ध्यान देने की जरूरत है। •
(लेखक बिहार के भागलपुर से हैं और इन्होंने नालंदा के मगध विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है।)
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