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  • sangyanmcu
  • May 20, 2021
  • 1 min read

I am grateful for her existence. I know I’ll never go poor as long as I have my mother in my life.



Amit Singh

mobile#9329337125 @notamit__


I believe – easily, firmly, with an unshakeable surety – that a mother is your truest friend. She will always guide you. Every time you feel like your lifeboat, in the sea of hopelessness, is sinking, she’ll travel at a speed of 620,616,629 mph, and save your day. A mother is a ray of hope.


When I was a child, I would run to my father while he wiped in the backyard his bicycle. “Take me on a bicycle ride with you,” I would say. “I am going to pee on the saddle if you don’t.” Maa would run outside hearing her firstborn’s voice and smile— the way the sunflowers smile on a sunny day.


For the longest time, I’ve looked at the world through a broken lens: there’s nothing around me if not chaos. But maa has taught me that not all bad comes from it. “Without chaos, there wouldn’t be fear, nor anger, nor love,” she says. Sometimes I wonder if she says what she says only because her name is Shanti, a name which comes from śānti, peace, tranquility, the satisfaction in doing the right thing, a baby crying after birth, drawing in his first breath. But for the most part, I believe her. I am grateful for her existence. I know I’ll never go poor as long as I have my mother. •


(Amit Singh hails from Ambikapur, Chhattisgarh. He has

completed his graduation from MATS University, Raipur)


मां के ममतामयी दास्तां को लिखने लिए यदि दुनिया को कागज का टुकड़ा, दुनिया का पूरा समुन्द्र स्याही में तबदील किया जाए तो भी शायद कम पड़ेगा




चंदन कुमार

mobile#7979897447 @chandan16456186


हम किस्मत वाले हैं कि दुनिया का सबसे अनमोल रत्न हमारी मां हैं। उसकी ममतामयी आंचल की छांव में हम अपने हर कष्ट को भूल जाते हैं। मां मेरी दुनिया है। उस से ही सृष्टि का संरचना होती है। जब हम दुनिया में आते हैं सबसे पहले मां का ही प्यार-दुलार मिलता है। सबसे पहले हम मां बोलना ही सिखते हैं। मां क्या होती हैं, उनसे पूछो जिनकी मां दुनिया की इस भूल-भुलैया में अकेले छोड़ गई हो। मां का प्यार क्या है ये उनसे पूछो जिनकी मां नहीं हैं। वह भगवान का दूसरा रूप हैं और उनके चरणों में ही स्वर्ग बसा है।


उज्जैन के कवि श्री ओम व्यास लिखित यह पंक्तियां सभी माताओं में पूर्णतः साकार होती हैंः


मां संवेदना है, भावना है, अहसास है

मां जीवन के फूलों में, खूशबू का वास है

मां रोते हुए बच्चे का, खुशनुमा पालना है

मां मरूस्थल में नदी या मीठा-सा झरना है

मां लोरी है, गीत है, प्यारी-सी थाप है

मां आंखों का सिसकता हुआ किनारा है

मां ममता की धारा है, गालों पर पप्पी है,

मां झुलसते दिनों में, कोयल की बोली है

मां त्याग है, तपस्या है, सेवा है

मां परमात्मा की स्वयं एक गवाही है

मां काशी है, काबा है, और चारों धाम है

मां चिन्ता है, याद है, हिचकी है

मां बच्चे की चोट पर सिसकी है

मां जीवन की कड़वाहट में अमृत का प्याला है

मां पृथ्वी है, जगत है

मां बिना इस सृष्टि की कल्पना अधूरी है

मां का महत्व दुनिया में कम हो नहीं सकता

मां जैसा दुनिया में कुछ हो नहीं सकता

जैसा कि हम सभी जानते है कि बच्चों के दिल में मां के लिये सबसे खास जगह होती है। और क्यों नहीं होगी, वह इसके काबिल भी है। एक मां हर पल हर चीज के लिए अपने बच्चे का ध्यान रखती है। मातृ-दिवस हर बच्चे और विद्यार्थी के लिए वर्ष का अत्यधिक यादगार और खुशी का दिन होता है। मदर्स डे साल का खास दिन होता है जो भारत की सभी माताओं के लिए समर्पित होता है। मातृ-दिवस हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। मां वह है जो हमें जन्म देती है, यही कारण है कि संसार में हर जीवनदायनी वस्तु को मां की संज्ञा दी गई है। यदि हमारे जीवन के शुरुआती समय में कोई हमारे सुख-दुख में हमारा साथी होता है तो वह हमारी मां ही होती है। मां हमें कभी इस बात का एहसास नहीं होने देती कि संकट के घड़ी में हम अकेले हैं। इसी कारणवश हमारे जीवन में मां के महत्व को नकारा नहीं जा सकता है।


एक मां हर एक की सबसे अच्छी दोस्त होती है क्योंकि वह हर एक चीज का ध्यान रखती है जिसकी हमें जरुरत होती है। इसलिए, उन्हें धन्यवाद और आदर देने के लिये वर्ष का एक दिन समर्पित किया गया है जिसे हर साल हम सभी मातृ-दिवस के रुप में मनाते हैं। हमलोग बिना अपनी मां के प्यार और देख-भाल के नहीं रह सकते हैं। वह हमारा बहुत ध्यान रखती है, वह बहुत खुश हो जाती है जब हमलोग हंसते है तथा वह बहुत दुखी हो जाती है जब हम लोग रोते है। इस दुनिया में मां एकमात्र ऐसी इंसान होती है जो हमें कभी अकेला नहीं छोड़ती। मां अपने बच्चों के लिए पूरी निष्ठावान होती है।


हम सब को पता है कि मां हमारे लिए जितना करती है, उसकी भरपाई जीवन भर भी करें तो कम पड़ेगा। इतना कुछ करने के बाद निष्छल, निष्कपट, ममतामयी मां कहती है कि मेरी खुशी तुमसे है बस तुम हंसते व मुस्कराते रहो, मेरे लिए सबसे बड़ा तोहफ़ा होगा। मां के ममतामयी दास्तां को लिखने लिए यदि दुनिया को कागज का टुकड़ा, दुनिया का पूरा समुन्द्र स्याही में तबदील किया जाए तो भी शायद कम पड़ेगा। •


(लेखक बिहार से हैं और उन्होंने अरूणाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी

ऑफ स्टडीज से ग्रेजुएशन किया है।)




मम्मी मुझे प्यार से लड्डू कहकर बुलाती हैं, मैं लड्डू की तरह ही तो हूं, मैं जब भी टूट कर गिरूं, वो संभाल लेती हैं...



वर्षा शर्मा

mobile#7748820054 @varsh3009


आज मौका है मेरी मम्मी के लिए और उनके बारे में कुछ लिखने का। इसमें सबसे पहली बात जो मेरे जहन में आती है वो ये है कि मेरी मम्मी सब जानती व समझती हैं। हर बार जब मैं अपनी मनकी कर उलझनों में फंस जाती हूं, तो मां ही उन उलझनों की गांठ को सुलझाती हैं। जाने वह ऐसा कैसे कर लेती हैं। आखिर वो मम्मी हंै ना, इसलिए सब समझती है।


मैं जब भी किसी से लड़-झगड़ कर आती हूं तो किसी से न कुछ बोलती। और न ही कुछ खाती हूं तब किसी को पता चले या ना चले, मां मेरा चेहरा पढ़ जाती हैं। और न जाने कब वो मेरी फेवरेट डिश बनाकर बहाने से खिला जाती हैं।


वो मम्मी है ना, सब समझती हैं।

यूं तो मैं समझदार हूं, ऐसा वो कहती हैं लेकिन मुझे अकेले शॉपिंग करने से मना करती हैं।

और इसकी वजह पूछो तो हमें घर में दुकान नहीं लगानी यह कहकर बात खत्म कर देती हैं।

वो मम्मी है ना, सब समझती हैं।

हालांकि, मुझे उनका रखा सामान जगह पर मिलता नहीं, लेकिन वहीं रखा है ठीक से देख - यह कहकर डांटती हैं।

अपना सामान जगह पर रखो कहकर समय की नज़ाकत समझाती हैं।

वो मम्मी हैं, सब समझती हैं।

वैसे, घर में सब मुझे अलग-अलग नाम से पुकारते हैं, लेकिन मम्मी मुझे प्यार से लड्डू कहकर बुलाती हैं।

सही तो कहती हैं, मैं लड्डू की तरह ही तो हूं, मैं जब भी टूट कर गिरूं, वो संभाल लेती हैं। मैंने कहा ना, वो मम्मी है, सब समझती है। •


(लेखिका मध्य प्रदेश के सिहोर से हैं और

इन्होंने बरकत ऊल्लाह विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन किया है।)




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