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दुनिया में एक मां ही हैं जो हमेशा आपके दोषों को छुपा लेती हैं जैसे मां गंगा आपके दोषों और चिंताओं को हर लेती हैं



अजय तिवारी

mobile#9755228666 @Ajaytiwari161


मां अपने आप में एक पूर्ण व्यक्तित्व है जिसकी तुलना किसी से भी करना सूरज को दीपक दिखाने जैसा होगा। किन्तु आज, पता नहीं क्या लिखूंगा और कैसे लिखूंगा, दरअसल आज से पहले कभी मां पर लिखने या उनके त्याग पर नज़र ही नहीं गई। सच कहूं तो मां पर लिखने के लिए शब्द कम ही सूझ रहे हैं, और जो हैं वो भी मानों कम पड़ रहे हैं। और जो कुछ शब्द जुटा पाया हूं उन्हें पिरोते हुए आंखें नम हो रही हैं। मेरा मानना है कि जो प्रेम आप भले ही कोई किताब लिख दें लेकिन वास्तविकता तो यह है कि अगर आप अपनी मां पर किताब लिखने जाएंगे तो शायद पन्ने कम पड़ जाएंगे। मां का प्यार ब्रम्हांड की तरह अनंत होता है। किताब की एक सीमा होती है किन्तु माँ के प्रेम की कोई सीमा नहीं होती। माँ का प्यार बस एक महसूस करने की चीज है यदि आप उसे महसूस नहीं कर पा रहे तो ये आपके बेटे होने में कमी है।

इस तरह वो मेरे गुनाहों को धो देती है,

माँ जब गुस्से में होती है तो रो देती है.


जीवन में आप कितनी भी गलतियां करें, एक मां ही हैं जो हमेशा आपके दोषों को छुपा लेती हैं, बिल्कुल गंगा की तरह। लिखने तो मां पर बहुत लिखा जा सकता है किंतु आज भावनाओं को एक सीमा में बांधकर रखते हुए अपना यह लेख लिखा है।


पता नहीं क्या लिखा, क्यूं लिखा, बस जो दिल में भावनाओं के तूफान से निकला, लिख दिया। एक छोटी सी कविता लिखी है, उम्मीद है अच्छी लगेगी-

बनाया ख़ुदा ने जब तुझको होगा,

एक सवाल तो मन में आया होगा,

अक्स हूबहू अपना बनाऊ कैसे,

सोच कर थोड़ा तो सरमाया होगा,

रखा होगा सीने में जब मां के दिल,

क्या संभाल धड़कनों अपनी पाया होगा,

कहीं रह जाये ना कोई चूक उससे,

सोच के वो थोड़ा तो घबराया होगा,

भेजा दुनिया में जब उसने तुझको,

वो सोच के थोड़ा तो इठलाया होगा,

फिर देख के मूरत खुद अपनी जैसी,

आँसू भर आँखों में मुस्काया होगा

रात-रात भर जग कर,

भूख प्यास त्याग कर..

वो एक मां है जो सब की फ़िक्र करती है,

मनुष्य का प्रतिरुप वो बोझ धरती सा धरती है। •


(लेखक ने जीवाजी विश्वविद्यालय, ग्वालियर से ग्रैजुएशन और राजा मान सिंह तोमर

संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, ग्वालियर से नाट्य विधा में डिप्लोमा किया है।)

  • sangyanmcu
  • May 20, 2021
  • 2 min read

You do things without any expectations, that makes you the best in this world




Madhvi Jha

mobile#7835952321 @MadhviJha22


Mommy, I am glad that I’m your daughter and I feel lucky to learn new things from you every day. Words are not enough to describe my love for you because it's unconditional and eternal. Your way of loving us and doing everything for us is incredible, you do things without expecting anything in return and that's what makes you the best!

Whenever I used to go outside, you said - "Ghar jaldi aana, aur agar late hojao toh phone kar dena", to which sometimes I felt irritated, but then eventually I realized it was your love and care for me.

I still remember the time when papa scolded me for not getting good grades in 5th standard and you were the one who stood by my side and asked him not to scream at me. Everything you’re doing and you did is exemplary, and feeding me food with your very own hand is one of the best things I cherish and will cherish forever.

I never had a lot of friends for I had you by my side, my best friend. Thank you for sticking around me through my thick and thin. I learn every day to be a better person – just like you, and I want it to keep on going like this. Every little thing of yours is so precious to me, especially your smile. You light up our house with your smile and I promise that I'll never do anything or let anyone do anything to you that would fade your smile away. You are the reason for everyone’s happiness and we just can't imagine our life without you. You are my shining star! •


(Writer is from New Delhi and she is graduated

from Maitreyi College, University of Delhi.)

छोटी सी उम्र में, मां की बीमारी के मात्र तीन दिन देखना, मेरे बालकाल में मां के महत्व के

अनमोल चार दिन बन गए


कार्तिकेय मिश्रा

mobile#83828 69941 @kartikeyam_


पिछले 3 दिन से मां की तबियत बहुत खराब है। ऐसी पीड़ा जिसके कारण न तो वो बोल पा रही हैं और न ही कोई इशारा कर पा रही हैं। उनके कुछ इशारे जो मैं भाप पा रहा था, वो यही कि बेटा, तूने कुछ खाया कि नहीं। उस दिन असल मायने में मां की ममता का अहसास हुआ। उस छोटी सी उम्र में मात्र इतना भर ज्ञात था कि मां ही मेरे सारे काम करेगी, चाहे वो खाना खिलाना हो या कपड़े पहनाना हो और भी बहुत कुछ। जब भी मेरा स्वास्थ्य खराब होता था तो मां दिन-रात मेरे बगल में बैठकर मेरा ध्यान रखती रहती थीं। पर आज जब उनकी तबीयत खराब है तो मुझे यह भी नहीं पता कि मैं मां की सेवा किस प्रकार करूं। मैं बस वही कर पाता जो मुझे पापा बताते। कभी छत से कपड़े उतार लाने को कहते, तो कभी मां के लिए पानी गर्म कर लाने को। ये तो अच्छा था कि पापा का खाना बनाने में हाथ साफ था, नहीं तो मां के बिना पेट भरना काफी मुश्किल होता। नादानी की उस उम्र में मेरा दिमाग बस उन्हीं चीजों में चल रहा था, जिसे मां खुद से करती थीं। कोशिश मैं पूरी करता कि मां जो-जो काम दिन भर करती हैं उसे खुद से करूं। लेकिन हर जगह कुछ न कुछ चूक हो ही जाती थी। चाहे वो दूध गैस पर रखकर भूल जाना हो या पानी का मोटर चालू छोड़ के उससे ध्यान हट जाना। मैं तो यही सोचता कि मां दिन भर में इतने ढ़ेर सारे कामों को याद कैसे रख लेती हैं। मेरे से तो पढ़ाई में भी सारे विषय याद नहीं रखे जाते। मां की तबीयत पूरे एक हफ्ते खराब रही और घर को देखने से भी लगता कि घर भी कितना उदास है। घर का सारा संचालन मानो अनियंत्रित सा हो गया हो। कोई भी सामान अपनी जगह पर मिलता ही नहीं था। कभी मेरी साइकल की चाबी खाट के एक कोने में पड़ी रहती तो कभी फ्रिज के ऊपर। कुछ ही दिनों में मां की तबीयत ठीक होने लगी। माँ धीरे-धीरे सारे काम फिर से उस तरह करने लगीं जिस तरह पहले किया करती थीं। एक दिन मां से मैंने इन सभी छोटी-छोटी बातों का जिक्र करते हुए कहा कि मां अगर आप न होतीं तो मेरा क्या होता! •


(लेखक उत्तरप्रदेश के लखनऊ से हैं और उन्होंने

हरिद्वार के देव संस्कृति विश्वविद्यालय से ग्रैजुएशन किया है।)

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