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  • Writer: Muskan Khandelwal
    Muskan Khandelwal
  • May 20, 2021
  • 2 min read

Though I never expressed my love for you but I love you a lot! -




Muskan Khandelwal

(mobile#88608 21957 @MuskanKhandu16)


It was August 12, 2017, I have to catch my first train to a new journey of my life, but you and papa weren’t there to drop me off in Delhi because of some work. You told me, “Go and start your classes, we will come to meet you soon in September.” Sitting inside the train, seeing the bag full of foods you have sent with me, thinking about eighteen years where I wasn’t alone, where you were there to feed me, take care of me, help me in doing my chores. I felt a pain, pain of going away from you, the pain of not seeing you physically for months. But then life has to go on and you are always there in my heart.


I still remember, before going to Delhi, you always said, “Ghar khali ho jaega”, “Galti se me tumhare hisse ki daal na bana du.” It was fun listening to those things from you, but reaching Delhi and your absence somewhere broke me. “Udhar Ghar khali hua ya na hua ho, par tumhare bina ye naya ghar adhura sa tha.”


Sitting on the balcony with a cup of tea and thinking that you never allowed your three daughters to have a cup of tea, because “jyada peene se kaale ho jate hai,” Oh! Your myths Maa. It bought a big smile on my face.


However, it’s been three years now maa and waking up daily on the alarm, cleaning the flat, washing my clothes, making my own food is still so new to me. I still crave for your handmade foods. But all the appreciation goes to you, for making me a girl who can do all this in your absence, for making me a girl who can stand on her own feet. Thank you for teaching me how to cook, for giving me all those habits you have within you, for letting me realize that you don’t have to be dependent on anyone.


Today, whatever person I am, it’s just because of you, because of your lifelong teachings. Words are not enough to describe your sacrifice, love and care for us all.

Though I never expressed my love for you but I love you a lot! I know, thank you is not enough to appreciate you but then too, Thank You maa for everything you have ever done for us and for doing it till now. •


(Writer is from Uttar Pradesh, Mau. Graduation from Asian Academy of Film and Television.)


मां बिना सृष्टि की कल्पना भी अधूरी है क्योंकि वो मां ही हैं जो आपको इस संसार में सृजन और संवर्धन की सीख देती हैं



अंशिका द्विवेदी (mobile#6388583983 . Twitter@Anshika51883840)


मां संवेदना हैं, मां भावना हैं, मां एहसास है, मुझे लगता है जिनके पास मां और पिता हैं, वह दुनिया के सबसे सुखी और संपन्न लोग हैं। मुझे याद है, जब भी मेरा एग्जाम होता था तो वो मां ही होती थी, जो हमेशा दही-शक्कर की कटोरी लिए खड़ी होती। मेरी शैतानियों से हमेशा परेशान होकर बोलती हैं कि हाय राम! क्या करें इस लड़की का बड़ी ही नहीं हुई है। इस उम्र में लड़कियां घर संभाल लेती हैं। वह मां, मेरी तरक्की के लिए पूजा-पाठ करती करती हैं, लेकिन पढ़ाई के लिए जब भी मुझे शहर से बाहर जाना पड़ता है, मैंने अपनी मां को अक्सर कमरे में छुप कर रोते देखा है। मम्मी का हमेशा से रहा है, वह सुबह जल्दी जगाने के लिए वो मुझे एक घंटे ज्यादा बढ़ाकर समय बताती हैं। 7 बजे मुझे कहती हैं कि 8 बज गए। मेरी जब-जब तबीयत खराब होती है, दोष मम्मी ने बुरी नजर को ही दिया है। जब बाहर पढ़ने गई तो हर चीज एक सपने सी लग रही थी। सारे दोस्त एक परिवार से लग रहे थे। लेकिन कुछ समय तक। सच में छोटे शहर अक्सर बड़े सपने दिखाते हैं। और बड़े शहर अक्सर छोटा महसूस करा देते हैं। ऐसे हालात में ही परिवार की अहमियत का एहसास होता है,जब आपका प्यार साथ छोड़ जाए, आपके यार आप से मुंह मोड़ ले तो एक माँ ही होती हैं, जो बार-बार फोन करके बोलती है, ठीक हो ना तुम, खाना खाई या नहीं? अच्छा नहीं लग रहा हो तो घर चली आओ। जब भी मैं घर पर खाना खाने बैठती और इधर-उधर देखती तो मां मेरे बिना कुछ बोले मेरी तरफ नमक का िडब्बा सरका देतीं। जब भी उन्हें ठंड लगती, पहले मुझे स्वेटर पहना देती हैं। सच कहूं तो जब भी परेशानियों ने मुझे घेरा है तो मां का वो चूड़ी वाला हाथ ही मेरा मजबूत कंधा बना है। यह सच है कि मां के बिना इस सृष्टि की कल्पना भी अधूरी है। •


(लेखिका बांदा उप्र से हैं और इलाहबाद की शॉट्स यूनिवर्सिटी से ग्रैजुएशन किया है।)

 
 
 

भोर की पहली किरण के साथ मां के मातृत्व का उजियारा फैलना शुरू हो जाता है। वो हमारी नींद को बड़े प्यार-दुलार के साथ खोलती हैं





अबिनाश भारद्वाज

mobile#75458 33540 @abinashbhardwa5


मां शब्द यूं तो बहुत ही छोटा है परंतु इस शब्द के मायने ऐसे है जिसकी आप शब्दों में व्याख्या नहीं कर सकते हैं। मां और उनकी ममता असीमित है। अपने बच्चों के लिए, उनका संघर्ष, समर्पण, त्याग, प्रेम, और उनकी सहानुभूति एक अथाह सागर जैसा होता है। मां की ममता ना तो खत्म होती है ना ही उसमें जीवन पर्यंत कभी कोई कमी आती है।


मां, बच्चों के लिए गुरु भी होती है। वहीं, वो एक सच्चे दोस्त की तरह भी होती है। मां बच्चों के लिए अभिभावक तो होती ही हैं और जीवन भर उनका सबसे अनमोल साया बनी रहती हैं। मां के लिए बच्चे तो हमेशा बच्चे ही होते हैं चाहे वो कितने ही बड़े क्यों न हो जाए। फिर चाहे वे कितने ही बड़े ओहदे पर क्यों न चले जाए। हमारे जीवन और हमारे दिल में मां का जो स्थान होता है उसे कभी कोई दूजा नहीं ले सकता। वो मानो प्रकृति की तरह हैंै, जो हमेशा हमें देने के लिए जानी जाती हैं। इसके बदले में वह हमसे कभी कोई अपेक्षा नहीं रखती हैं।

हमारे जीवन के पहले क्षण की शुरुआत मां के साथ ही होती है। जब हम इस दुनिया अपनी आंखें खोलते हैं, तो सामने मां का दीदार होता है। जब तुतलाते हुए पहला शब्द बोलना शुरु करते हैं, मां ही वह पहला शब्द होता है।

इस धरती पर वह हमारा पहला प्यार, पहलाी शिक्षक और सबसे पहली दोस्त होती हैं। जब हम जन्म लेते हैं तो अबोध होते हैं। वो मां की गोद ही है जो हमें इस संसार का दर्शन और आभास करवाती है। उसी गोद में हम पल-बढ़कर इस काबिल बनते हैं कि दुनिया को समझ सकें और कुछ कर सकें।


वह हमेशा हमारे लिए उपलब्ध रहती हैं। ईश्वर की तरह हमारा पालन-पोषण करती हैं। अगर इस धरती पर कोई भगवान हैं तो हमारी मां ही हैं। मां के प्यार का स्थान जीवन में कोई दूसरा नहीं ले सकता। मां जो हमें पालती-पोषती हैं, उस जैसा दुलार कोई और नहीं दे सकता। मां जीवन भर हमारे लिए जो बलिदान देती रहती हैं उसकी कोई बराबरी नहीं कर सकता।


हमारे जीवन में जितनी महिलाएं होती हैं, उसमें मां का स्थान सर्वोच्च है। मां को अपने बच्चों के आगे अपनी थकान की कोई फिक्र नहीं होती है। बच्चों की देखरेख में वह अपनी थकान भूलकर सबकुछ कर लेना चाहती हैं।

भोर की पहली किरण के साथ मां के मातृत्व का उजियारा फैलना शुरू हो जाता है। वो हमारी नींद को बड़े प्यार-दुलार के साथ खोलती हैं। हमारे नाश्ते की तैयारी वो भोर में ही करना शुरू कर देती हैं। फिर बात चाहे दोपहर के खाने की हो या हमारे हाथ में पानी की बोतल देने की, मां हमारा पूरा-पूरा ख्याल रखती हैं।


हमारे लौटने का मां को बेसब्री से इंतजार रहता है। जब तक हम लौट ना आएं, उनका ध्यान दरवाजे की तरफ रहता ही है। रात का जायकेदार खाना मां के बिना कभी पूरा नहीं हो सकता। इसमें भी वह सबकी पसंद-नापसंद का भरपूर ध्यान रखती हैं। जैसे महासागर बिना पानी के नहीं हो सकता, उसी तरह मां भी हमें बहुत सारा प्यार और देख-रेख करने से नहीं थकती है। वो अनोखी होती हैं और पूरे ब्रम्हाण्ड में एकमात्र ऐसी हैं जिसे किसी से नहीं बदला जा सकता। वो हमारे सभी छोटी और बड़ी समस्याओं का असली समाधान है। वो इकलौती ऐसी होती है जो कभी भी अपने बच्चों को बुरा नहीं कहती और हमेशा उनका पक्ष लेती हैं। वह भगवान से हमारे स्वास्थ्य और अच्छे भविष्य के लिए पूरे जीवन भर प्रार्थना करती हैं इसके बावजूद कि हम कई बार उन्हें दुखी भी कर देते हैं। हमेशा उसके मुस्कुराते चेहरे के पीछे एक दर्द होता है जिसे हमें समझने और ध्यान देने की जरूरत है। •


(लेखक बिहार के भागलपुर से हैं और इन्होंने नालंदा के मगध विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है।)


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