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खुदा का दूसरा रूप है मां ममता की गहरी झील है मां वो घर किसी जन्नत से कम नहीं, जिस घर मै खुदा की तरह पूजी जाती


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शैलजा पटेल

mobile#9140432259 @Shailja64359221


किसी ने क्या खूब कहा है अपना नहीं तुझे सुख-दुख कोई मेरे हसने पे मेरे रोने पे तू बलिहारी है ओ मां, एक मां बच्चे को जन्म देती है 9 महीने उसे अपनी कोख में पालती हैं। सारे सुख-दुख दर्द सहकर वह सिर्फ उसके आने का इंतजार करती है। और जब वह इस दुनिया में आता है तो सबसे ज्यादा खुश भी मां होती है। सच में बहुत ही अद्भुत कृति है उस ऊपर वाले की।


कहते हैं, ऊपर वाला हर जगह मौजूद नहीं हो सकता इसलिए वह मां को बनाता है। मां के कदमों में जो जन्नत है वह दुनिया की किसी जगह पर नहीं, अपने बच्चे को बचपन से पाल पोस कर बड़ा करती है मां, उसकी हर ज़िद पूरा करती है एक मां। उसकी सुख-दुख में साथ देती है सिर्फ मां, घर को घर बनाती है। बचपन की याद में हर दुख-सुख जुड़ा होता है। मां को क्यों भूल जाते हैं हम इस दुनिया के आगे, उस मां को जिसने हमारे लिए अपने सुख-दुख सब त्याग दिया। कहते हैं मां-बाप की सेवा करने से जन्नत मिलती है पर आजकल की जनरेशन इस जन्नत को छोड़कर किस जन्नत के पीछे भाग रहीं है। शायद आजकल के बच्चे बड़ों की इज्जत करना इसीलिए भूल गए हैं क्योंकि इनकी पीढ़ी बहुत आगे बढ़ चुकी है। मां अगर डांटती है तो उसे यह कहकर चुप करा दिया जाता है कि तुम्हारी जनरेशन से हमारी जनरेशन बहुत अलग है, बहुत मॉर्डन है, पर क्या कोई नहीं जानता कि वह कभी हमारा बुरा नहीं चाहती। और आज हम जो भी हैं सिर्फ अपने मां-बाप के कारण हैं। भगवान को भी जन्म देने वाली एक मां हंै, इसलिए मां का दर्जा उससे भी बड़ा है। युग तो आते जाते रहते हैं, बदलाव होते रहते हैं, पर बस एक मां और उनका प्यार कभी नहीं बदलता।


कहने को तो शब्द कम है मेरे पास जो मैं मां की गाथा लिख पाऊं। मैं खुद एक बेटी हूं बचपन से आज तक मेरी मां ने मुझे संभाला एक वर्किंग लेडी होने के साथ उन्होंने अकेले पूरे परिवार का ध्यान रखा। इस कोरोना महामारी के दौरान लगे लॉकडाउन में जब सब घर में बैठे आराम करते थे तब भी मैने मां को हमारे लिए किचन में दिन-रात काम करते देखा। इसलिए मेरा सभी से यह निवेदन है कि हमेशा अपनी मां की इज्जत करो, उनकी बात मानो, उनके साथ समय बिताओ। क्योंकि एक मां ही बच्चे के सुख-दुख में हमेशा खड़ी होती है।


आज मदर्स डे के उपलक्ष्य में हर बच्चे से यही उम्मीद करूंगी कि ...

Respect your Mother, love your Mother.

क्योंकि….

लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती,

बस मां है जो कभी मुझसे खफा नहीं होती। •


(लेखिका उत्तर प्रदेश के लखनऊ से हैं इन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन किया है।)

 
 
 

खुदा का दूसरा रूप है मां ममता की गहरी झील है मां वो घर किसी जन्नत से कम नहीं, जिस घर मै खुदा की तरह पूजी जाती


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गुलशन यादव

mobile#8982339092 @gulshanyadav37


मेरी माँ बहुत प्यारी है। वे रोज सुबह घर में सबसे पहले उठ जाती हैं। घर के सब लोगों का ध्यान मेरी मां रखती हैं। वे दादा-दादी का पूरा ध्यान रखती हैं। पापा, मेरी और मेरी छोटी बहन की हर एक छोटी-बड़ी बातों की परवाह भी मेरी मां करती हैं। दादी कहती है कि मेरी मां घर की लक्ष्मी हैं। मैं भी मां को भगवान के समान मानता हूं और उनकी हर बात मानता हूं।


मेरी मां गरीबों और बीमारों की भी हर संभव मदद करती हैं, मेरी मां मेरी सबसे अच्छी दोस्त हैं। मैं जब कोई गलती करता हूं तब मां मुझे डांटती नहीं है बल्कि प्यार से मुझे समझाती हैं, जब मैं दुखी होता हूं तब मेरी मां ही मेरे मुरझाए चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर आती हैं। उनके प्यार और ममतामयी स्पर्श को पाकर मैं अपने सारे दुख भूल जाता हूं। मेरी मां ममता की देवी समान है। वे मुझे और मेरी बहन को हमेशा अच्छी-अच्छी बातें बताती है। मेरी मां आदर्श हैं, वे मुझे सच के रास्ते पर चलने की सीख देती है, समय का महत्व बताती है, संस्कार सिखाती हैं। कहते है कि मां ईश्वर के द्वारा हमें दिया गया एक वरदान है जिसकी आंचल की छांव में हम अपने आप को सुरक्षित महसूस करते हैं और अपने सारे गम भूल जाते हैं। मैं अपनी मां से बहुत प्यार करता हूं और भगवान को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे दुनिया की सबसे अच्छी मां दी है।


(लेखक मप्र में होशंगाबाद के शिवपुर से हैं। इन्होंने बी.यू. भोपाल से

ग्रैजुएशन किया है। वर्तमान में दैनिक भास्कर के स्थानीय संवाददाता है।)

 
 
 

मां भी एक बच्ची और एक अच्छी दोस्त के जैसी होती है। वो बच्ची भी बन जाती हैं।


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त्रिवेणी पाठे

mobile#9907441154 @patheTriveni


दिन की शुरूआत और दिन का अंत – मम्मी की डांट से होता है। मम्मी के साथ बीता हर पल यादों का एक गुलदस्ता है। अब तो मानो कि डांट की आदत सी हो गई है– मम्मी से डांट खाए बिना सुबह ही नहीं होती हैं। मम्मी जितना डांट देती है उससे ज्यादा प्यार करती हैं पर अपना प्यार कभी दिखाती नहीं हैं। मुझे कभी खुद से दूर करने का नहीं सोचती मम्मी, मैं उनके लिए एक छोटी बच्ची सी हूं। मैं कभी कितनी भी बड़ी हो जाऊं मगर उनकी नजरों में हमेशा ही बच्ची ही बनी रहूंगी।


घर से कॉलेज के लिए जाने से पहले लन्च बना कर देना और फिर घर से कॉलेज के लिए निकालते ही मम्मी का पीछे आ जाना। बस नहीं आते तक मम्मी का बाहर रहकर देखते रहना उन यादगार पलों में से है जो मैं कभी नहीं भूल सकती और फिर कॉलेज से लौटते वक्त मेरा थोड़ा सा भी लेट होते ही उनका परेशान होना घर में आते ही कभी मम्मी को नहीं देखना मुझे भी परेशान सा कर देता था।


मम्मी वो दोस्त हैं जो बिन बोले ही सब कुछ समझ जाती हैं। मुझे मम्मी को परेशान करना बहुत अच्छा लगता है, मम्मी को मेरी हर चीज में गलती निकालना और मेरे रोते ही उनका हंसना मन को खुशी देता हैं फिर उनका बोलना कि बेटा तू रो ले अब। उनके सामने और ज्यादा रोना फिर मम्मी का गुस्सा दिखना, सब कुछ एक सपने के जैसा होता हैं जो गुज़रता जा रहा हैं। मम्मी को मेरी हर वक्त इतनी फिक्र लगी रहना, मेरा भोपाल में एडमिशन करवाना, मेरे लिए इतना परेशान होती हैं मम्मी। मेरे कारण मेरे भाई का भी एडमिशन करवा दिया। मम्मी को अब इस बात की बहुत खुशी है कि मुझे बाहर नहीं जाना पड़ रहा है। और उन्हें अब ऐसा लगने लगा है कि मुझे बाहर जाना ही नहीं पड़ेगा।


मां भी एक बच्ची और एक अच्छी दोस्त के जैसी होती है। मम्मी खुद भी कभी-कभी बच्ची बन जाती हैं। मुझसे भी ज्यादा खुद जिद पर आ जाती है। बच्चों के साथ कभी बच्ची बन जाती हैं। मम्मी कभी-कभी एक दोस्त बन जाती हैं। सही-गलत, सब कुछ सिखाती हैं, मां पूरी दुनिया हैं जिन्हें हम शब्दों में नहीं कहे सकते हैं। जैसे दुनिया बहुत बड़ी है। मां दुनिया से भी बड़ी हैं। मम्मी के साथ हर एक दिन हर एक पल जीवन में हिम्मत देता है। मां से ही ममता है उनसे ही हिम्मत। •


(लेखिका मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से हैं जिन्होंने अपना ग्रेजुएशन

इंदिरा प्रियदर्शिनी (आई.पी.एस.) कॉलेज छिंदवाड़ा से किया है।)

 
 
 
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